बता दें कि मार्च में केंद्र सरकार ने डिजिटल सेवाएं देने वाली विदेशी कंपनियों को कहा था कि भारत में किए गए डिजिटल लेनदेन पर दो फीसदी कर देना होगा, जो 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी हो गया है।
अमेरिका-भारत सामरिक भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) ने डिजिटल टैक्स के पहले त्रैमासिक भुगतान की तिथि से पूर्व वित्त मंत्रालय को पत्र लिख कहा, हम इस फैसले को स्थगित करने या भुगतान के लिए तारीख को आगे बढ़ाने की अपील करते हैं। समूह ने तर्क दिया कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनियों को भुगतान किस प्रकार करना है, क्योंकि इसमें अभी और स्पष्टता की जरूरत है। इस समयरेखा को पूरा करने में व्यावहारिक कठिनाइयां हैं। हालांकि वित्त मंत्रालय ने इसपर फिलहाल कोई टिप्पणी या जवाब नहीं दिया है।
भारत के लिए यूएसआईएसपीएफ की प्रबंध निदेशक निवेदिता मेहना ने कहा, संगठन ने वित्त मंत्रालय को पत्र भेजा है क्योंकि वह अपनी सदस्य कंपनियों की चिंताओं को दूर करने में मदद का अनुरोध करना चाहता है।
भारत बड़ी डिजिटल ताकत, डाटा सुरक्षा से समझौता नहीं : प्रसाद केंद्रीय सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, भारत महत्वपूर्ण डिजिटल शक्ति है और हम डाटा की सुरक्षा से किसी कीमत पर समझौता नहीं कर सकते। मंगलवार को हीरानंदानी समूह की कंपनी योट्टा द्वारा 1100 करोड़ की लागत से तैयार डाटा सेंटर के लॉन्च पर प्रसाद ने कहा, वह भारत को डाटा रिफाइनिंग केंद्र के तौर पर देखते हैं, जिसमें निजता को ध्यान में रखते हुए डाटा रिसर्च व डाटा क्लिनिंग का काम हो सके।
प्रसाद ने कहा, हम भारत की डाटा संप्रभुता को लेकर समझौता नहीं कर सकते। भारत एक बड़ी डिजिटल शक्ति है और हमारी डाटा संप्रभुता बहुत मायने रखती है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इससे कभी समझौता न हो और न ही हम करें। उन्होंने कहा, मौजूदा परिप्रेक्ष्य में साइबर सुरक्षा एक अहम पहलू है और हमें बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है। एजेंसी
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