उल्लेखनीय है कि संगरूर के गांव उभावाल में जन्मे व राज्यसभा के सदस्य बनने वाले राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा शिरोमणि अकाली दल (ब) में प्रकाश सिंह बादल के बाद दूसरे कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं। शिअद के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की प्रधानगी को लेकर पैदा हुए मतभेद के बाद राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने शिरोमणि अकाली दल (ब) को सिद्धांतों के राह पर लाने व बादल परिवार से अकाली दल को आजाद करवाने के लिए अपना अलग रास्ता अपनाने का एलान किया। ढींडसा सहित कई अकाली टकसाली भी उनके समर्थन में उतर आएं। सुखदेव सिंह ढींडसा के पुत्र परमिदर सिंह ढींडसा ने भी शिअद (ब) से अलग होकर अपने पिता के साथ कदम से कदम मिलाने का एलान कर दिया।
ढींडसा ने अलग शिरोमणि अकाली दल का गठन करने से इलाके की सियासी तस्वीर भी बदलने का अनुमान है। अब तक जिला संगरूर व बरनाला को ढींडसा परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। अब ढींडसा परिवार को संगरूर सहित पूरे पंजाब में अपनी नई पार्टी की जड़े जमानी होगी, जबकि दूसरी तरफ शिरोमणि अकाली दल (ब) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल का समर्थर्न देने वाले अकालियों की गिनती इलाके में अधिक दिखाई दे रही है। इसकी सबूत इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अकाली दल के हलका इंचार्जो सहित कद्दावर नेता अभी भी शिअद (ब) के साथ चलने का एलान कर चुके हैं। ढींडसा के हक में लाने वाले राजिदर कांझला, गुरबचन सिंह बची, एसजीपीसी सदस्य हरदेव सिंह रोगला, मलकीत सिंह चंगाल, जयपाल मंडिया, पूर्व एडीसी सुखवंत सिहं सराओ, जीत सिंह चंदूराइयां, मोहम्मद कसोल,अबदुल गफ्फार ने कहा कि ढींडसा परिवार ने अकाली दल के सिद्धांतों को बचाने की खातिर एक अलग राह चुनी है। यह राह पंजाब को नई दिशा देगा व पंजाब को रोशन पंजाब बनाएगा।
No comments:
Post a Comment