एक गैंगस्टर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर यूपी पुलिस के आठ पुलिसवालों की जान लेने के बाद भाग निकलता है और छह दिन तक पुलिस को छकाता रहता है पुलिस उसे नहीं पकड़ पाती। गैंगस्टर शुरुआत के दो दिन कानपुर के शिवली में ही था पुलिस उसे नहीं पकड़ पाती।
दो दिन गैंगस्टर फरीदाबाद में एक रिश्तेदार के घर में था, उस घर से चार पिस्तौल मिलीं। इनमें से दो यूपी पुलिस से लूटी गई थीं। यहां भी पुलिस देर से पुहंचती है पुलिस उसे नहीं पकड़ पाती। फिर गैंगस्टर फरीदाबाद, के होटल के बाहर दिखाई देता है पुलिस उसे नहीं पकड़ पाती।
पुलिस उसे फरीदाबाद, गुड़गांव में ढूंढती रही, लेकिन वह तमाम राज्यों और जिलों की बॉर्डर क्रॉस करता हुआ उज्जैन आ जाता है और महाकाल मंदिर में एमपी पुलिस के सामने सरेंडर कर देता है पुलिस उसे नहीं पकड़ पाती।
वह स्वंय चिल्लाकर कहता है कि मै ही वह गैंगस्टर हूँ
वाह वाह क्या पुलिस है ?
क्या गजब के गृह मंत्री है ?
क्या गजब के मुख्यमंत्री है ?
क्या गजब का रामराज्य है ?
क्या गजब का बिका हुआ मीडिया है ?
जो ऐसी निकम्मी सरकारों पर एक बार ऊँगली उठाकर सवाल नहीं पूछता
वाह वाह क्या पुलिस है ?
क्या गजब के गृह मंत्री है ?
क्या गजब के मुख्यमंत्री है ?
क्या गजब का रामराज्य है ?
क्या गजब का बिका हुआ मीडिया है ?
जो ऐसी निकम्मी सरकारों पर एक बार ऊँगली उठाकर सवाल नहीं पूछता
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