इस ऑटो चालाक का नाम है दिवाकर हंसमुख , दिन ढलने के बाद जब वह अपने घर आ रहे थे तब उन्हें अपने घर के करीब किसी के रोने की आवाज आयी जब उन्होंने वहां जाकर देखा तो एक लड़की रो रही थी।उम्र लगभग 16 साल ऑटो चालक उनके पास गए और उनसे पूछा की वो क्यों रो रही है तो वो लड़की दिवाकर के सीने से लगक रोने लगी। दिवाकर उस लड़की को अपने घर ले गए, उसे रोटी खिलाई और उस से पूछा की वो क्यो रो रही थी। यहां पर कहा से और कैसे आई।
तब उस लड़की ने बताया कि वो दिल्ली की रहने वाली हैं। उसने खुद का नाम आरती वर्मा, पिता का नाम रोशन लाल वर्मा बताया। उसने यह भी बताता कि वो दसवीं में पढ़ती हैं और उनके मामा ने उसे फिल्म का झासा देकर बेच दिया। लेकिन वो वहां से जैसे तैसे कर निकल आई। लड़की ने बताया की उस ने दो दिन से कुछ नहीं खाया था। दिवाकर 3 दिन बाद उस लड़की को उसके घर छोड़ आया।
इसके 6 साल बाद दिवाकर का एक एक्सीडेंट हो गया। उस एक्सीडेंट में उनका पैर टूट गया और आॅटो भी किसी काम का नही रहा इस वजह से उनका रोटी के लिए पैसे जुटाना कठिन काम हो गया। जब पैर थोडा ठिक हुआ तो वो रोजगार की तलाश में वो दिल्ली आ गया। यहां आकर वह रिक्शा चलाने लगा। एक बार जब दिवाकर एक ढाबे में खाना खा रहे थे। तब उन्होंने देखा की एक लड़की अपने लम्बे कदमों से ढ़ाबे से बाहर आयी। देखते ही दिवाकर ने उसे पहचान लिया,
ये लड़की वही थी आरती वर्मा उसने दिवाकर से उसके पैर व रिक्साा के बारे में और यह भी पुछा यहां दिल्ली में कैसे। उसके बाद दिवाकर ने अपनी कहानी बताई। दिवाकर अपने बारे में बताते और अारती को सुनते दोनो के आंखो में आंसू थे। फिर दोनो ने एक साथ भोजन किया। आपको बाता दे कि इसके बाद यह लड़की हर वर्ष दिवाकर के घर जा कर उन्हें राखी बांधती हैंं। वो उन्हें अपने भाई की तरह मानती है जिस ने उन्हें बचाया था।
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